सखि,
पता है हमारे मौहल्ले में रहने वाले दुखीराम जी को अस्पताल ले जाना पड़ा कल रात को । और उन्हें आई सी यू में भर्ती करवाना पड़ा । डॉक्टर बता रहा था कि हृदय रोग है, रक्तचाप भी कम है । हमने पूछा "ऐसा कैसे हो गया डॉक्टर साहब" ?
वे बोले "टेंशन पालने से ऐसा होता है" ।
मैं सोच में पड़ गया कि मैंने लोगों को गाय, भैंस, बकरी, भेड़, ऊंट, पालते देखा है । आजकल की पीढी को कुत्ते पालते देखा है । कुछ लोगों को बिल्ली पालते भी सुना है । कोई कोई आदमी हाथी भी पाल लेता है । शेर पालने की हिम्मत कोई कर नहीं सकता है और गीदड़ पालने योग्य जानवर है नहीं । हां, घोड़ा भी पाला जाता था । अब तो शादियों में काम आने वाली घोड़ी ही पाली जाती हैं । पर कभी टेंशन पालते किसी को देखा नहीं है । मैंने ऐसे ही पूछ लिया "डॉक्टर साहब, मैंने देखा नहीं किसी को टेंशन पालते हुए । क्या आपने देखा है" ?
उन्होंने मेरी ओर ऐसे देखा जैसे कि मैं किसी दूसरे ग्रह से आया हुआ प्राणी हूं । मेरी तरफ घूरकर देखते हुए वो बोला "आजकल इतनी मंहगाई में जानवर कौन पाले ? ये तो सरकार ही है जो सांड , कुत्तों के अलावा सफेद हाथी भी पाल लेती है । आम आदमी तो टेंशन ही पालता है । क्योंकि मुफ्त में तो बस टेंशन ही पाला जा सकता है । वैसे टेंशन को पालने की जरूरत भी नहीं है , हर कोई आदमी थोक के भाव दे जाता है बिना मांगे हुए भी । हर कोई आदमी आपकी तरह फक्कड़ नहीं होता है । जिसके पास कुछ होता है खोने को , वही तो टेंशन पालता है । फक्कड़ आदमी क्या टेंशन पालेगा ? वो तो औरों को टेंशन देता है लेता नहीं है" ।
तब मुझे याद आया कि दुखीराम जी बहुत टेंशन पालते थे । अभी दो तीन महीने से तो उन्हें "रूस - यूक्रेन युद्ध" का बड़ा भारी टेंशन था । मैंने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश भी की कि अपुन को क्या ? रूस जीते या हार जाये , हमें क्या ? लेकिन उनका कहना था कि ऐसे कैसे फर्क नहीं पड़ता है ? अगर रूस हार जायेगा तो दुनिया पर अमरीका का राज हो जायेगा । और यदि दुनिया पर अमरीका का राज हो जायेगा तो वह दादागिरी करेगा । जब दादागिरी करेगा तो फिर गरीब देशों का क्या होगा " ? और इसी टेंशन के कारण वे अस्पताल में भर्ती हो गए ।
पिछली बार भी ऐसा ही हुआ था । वे पार्क में घूमते हैं रोज सुबह । मगर बहुत कम लोग ही आते हैं सुबह घूमने के लिए पार्क में । बस, दुखीराम जी को इसी बात का टेंशन हो गया था कि यदि लोग घूमेंगे नहीं तो बीमार पड़ जायेंगे । लोग तो पता नहीं बीमार पड़े या नहीं मगर दुखीराम जी टेंशन के कारण खुद बीमार हो गए थे ।
जमाने भर का टेंशन पाल रखा है उन्होंने अपने दिमाग में । मौहल्ले में लोग कुत्तों को रोटी नहीं खिलाते हैं तो इस बात का टेंशन कि बेचारे कुत्ते भूखे मर रहे हैं । यदि लोग कुत्तों को रोटी खिलाते हैं और रोटी पर कुत्ते झपट पड़ते हैं । इसी बीच अगर कोई बच्चा या औरत वहां पर फंस जाये तो कुत्ते उस पर टूट पड़ते हैं । तब इस बात का टेंशन कि लोग रोटी खिलाते ही क्यों है इन कुत्तों को ? एक बात का टेंशन हो तो बतायें , उन्हें तो हर बात पर टेंशन हो जाता है । किसी की शादी ही रही है तो टेंशन कि बेचारी कैसे रहेगी इस दुष्ट के साथ । और अगर शादी नहीं होती है तो इस बात का टेंशन कि अगर शादी नहीं हुई तो अगली पीढी कैसे आएगी ?
इसी टेंशन का परिणाम है कि वे आज आई सी यू में हैं । हमें लगता है कि हम जैसे फक्कड़ आदमी ही ठीक हैं जो टेंशन लेते ही नहीं हैं । टेंशन कोई लेने की चीज है क्या ? देने की चीज है ये तो । जितना चाहो उतना दो । बहुत बरकत है इसमें । एक का हजार होता है ।
तो मित्रो, टेंशन लेने की नहीं, देने की चीज है । जी भरकर दो , चाहे कोई ले या नहीं ।
हरिशंकर गोयल "हरि"
8.6.22
Radhika
09-Mar-2023 12:47 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
15-Jun-2022 06:24 PM
बेहतरीन👌👌
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Gunjan Kamal
15-Jun-2022 03:42 PM
बहुत खूब🤣
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